राजा मैं सेठानी हूं
एक थी चिड़िया। चिड़िया को चुगते समय एक मोती मिल गया। चिड़िया ने वह मोती नाक में पहन लिया और उसे घुमाती -फिराती एक पेड़ की डाल पर जा बैठी। तभी एक राजा उधर आ निकला। राजा को देखकर चिड़िया कहने लगी।
राजा मैं सेठानी हूं, नाक में मोती पहनती हूँ ।' राजा चिढ़ गया। उस दिन तो वह चुपचाप अपने महल में चला गया। अगले दिन राजा अपने दरबार में जा रहा था, तभी
चिड़िया फिर बोली, “राजा मैं सेठानी हूं, नाक में मोती पहनती हूं।' अब तो राजा एकदम गुस्से में भर गया। उसने चिड़िया को पकड़ लिया और उसके नाक में से मोती
निकाल लिया। चिड़िया भी राजा से डरने वाली नहीं थी। वह फिर कहने लगी, 'राजा भगत भिखारी, मेरा मोती छीन
लिया है।'
राजा को और भी अधिक गुस्सा आया। उसने कहाँ 'क्या मै कोई भिखारी हूँ ? मै तो राजा हूँ। मेरे पास क्या कमी है ? दे दो चिड़िया को उसका मोती वापस। चिड़िया को मोती दे दिया गया। तब चिड़िया फिर कहने लगी 'राजा मुझसे डर गया मेरा मोती वापस कर दिया। '
अब तो राजा एकदम आपे से बाहर हो गया। उसने चिड़िया को पकड़वाकर उसका सिर मुंडवा दिया और उस पर चूना पुतवा कर निकल गया
तब चिड़िया कहने लगी, ' राजा और उसके पूरे परिवार के सिर न मुंडवा दूं तो मेरा नाम चिड़िया नहीं ।' उसके बाद चिड़िया शिवजी के मंदिर में जाकर बैठ गई। राजा रोज शिवजी के दर्शन के लिए आता था और प्रार्थना करता था कि 'हे भोले शंकर, हमारे संकट
दूर करते रहना। रोज की तरह उस दिन भी दर्शन करने आया, “हे शंकर बाबा, हमारे
संकट दूर करना।” तभी छिपी हुई चिड़िया बोली, 'नहीं करूंगा।'
राजा घबरा गया। बोला, “हमसे क्या गलती हुई प्रभो! यदि गलती हो भी गई
तो माफ कर दो आप जो कहोगे, वही करूंगा।'
यह सुनकर चिड़िया बोली, 'हे राजा! तू और तेरा पूरा परिवार अपने सिर का मुंडन कराओ और चूना चुपड़ कर सभी यहां आकर मेरे पांव छुओ तभी तुम्हारा भला हो सकता है।'
दूसरे दिन राजा और उसके पूरे परिवार ने सिर मुंडवा लिए, फिर माथे पर चूना चुपड़ कर सभी मंदिर में आए। सभी शिवजी के मंदिर में खड़े होकर कहने लगे, “हे शंकर बाबा,-हमारा भला करना।'
उड़ गई और बाहर जाकर बोली,
“चिड़िया को तो एक मुंडाय, राजा का
परिवार मुंडाया।' राजा बहुत शर्मिंदा हुआ।
वह मुंह नीचा करके चुपचाप अपने महल चला गया।
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